महाबलेश्वर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित पहाड़ियों पर बसा पंचगनी और महाबलेश्वर प्रत्येक मौसम में यात्रियों को लुभाता है। यहां पर पंचगनी और महाबलेश्वर की प्राकृतिक छटाओं का वर्णन नहीं किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि पंचगनी बोर्डिंग विद्यालय का एक श्रेष्ठ स्थल है। महाबलेश्वर में टेबल टॉप स्थल काफी लोकप्रिय स्थल है। चलिए टेबल टॉप पर चलते हैं।
महाबलेश्वर के पहाड़ के शीर्ष पर गोलाकार पर्वतीय हिस्से को टेबल टॉप के नाम से जाना जाता है। यहां पर वाहन रुकते ही कई लोग घेर लेते हैं जो प्रमुखतया घोड़े की एकल सवारी या घोड़ा गाड़ी से टेबल टॉप का भ्रमण कराने का आग्रह करते हैं। वाहन से बाहर निकलते ही घोड़े की लीद और गंध से परिसर भरा रहता है। यहां पर पहली बार जानेवाले व्यक्ति इन व्यक्तियों की बातों में उलझ जाते हैं। पार्किंग क्षेत्र के घोड़ा आग्रह से बचते हुए व्यक्ति जब आगे बढ़ता है तब वहां हाँथ में रसीद लिए व्यक्ति मिलता है और विस्तृत गोलाई को दिखाते हुए विभिन्न पॉइंट की विशेषता और महत्ता बतलाता है। वह यह भी मानसिक दबाव डालता है कि इतनी दूरी को पैदल तय कर पाना थका देता है और अधिक समय लेता है।
व्यक्ति उलझन में पड़ जाता है और जब टेबल टॉप की विस्तृत गोलाई पर दृष्टिपात करता है तो स्वयं को असमर्थ पाता है। एक घोड़ा गाड़ी रुपये 800 या 850 में उपलब्ध हो जाता है। यह पूछने पर की इतनी कम दूरी का इतना अधिक किराया क्यों तो उत्तर मिलता है एक घोड़ा गाड़ी का दिन में एक बार ही नंबर आता है। एक घोड़ा गाड़ी पर सामान्यतया 4 व्यक्ति ही बैठते हैं। यदि कोई व्यक्ति कहे कि दूसरे घोड़ा गाड़ी पर तो 6 लोग बैठे हैं तो उत्तर मिलता है कि व्यक्ति के वजन के अनुसार बैठाते हैं। यात्रियों को यह भी कहा जाता है कि आगे कीचड़ और फिसलन है इसलिए सावधानीवश इन गाड़ियों पर वजन का ध्यान रखा जाता है। भुगतान करने पर गाड़ी आ जाती है।
घोड़ा गाड़ी पर बैठने के बाद यात्रा साहसिक होती है। टेबल टॉप पट जगह-जगह हुए गड्ढे से जब गाड़ी गुजरती है तब यात्रियों को अपना संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी पकड़ को मजबूत करना होता है अन्यथा असन्तुलित होकर गाड़ी में गिरने का खतरा बना रहता है। पांडव चूल्हा और पांडव चरण निशान यथार्थ कम मनोरंजन ज्यादा लगते हैं। बॉलीवुड फिल्मों जैसे “तारे जमीन पर” आदि के शूटिंग स्थल को दिखलाया जाता है जिसे बगैर समझे हां कर देना यात्रियों की नियति है। न फ़िल्म का सेट न कलाकार न कैमरा आदि, मात्र स्थल दिखलाकर यात्रियों को काल्पनिक रूप से विभिन्न फिल्मों से जोड़ा जाता है। यहां अधिकतम पॉइंट हैं जिसे समझना कठिन है क्योंकि देखने के लिए मात्र वादी है। घोड़ा गाड़ी अधिकांश पॉइंट की चर्चा रुक कर करता है जबकि यात्री गाड़ी में बैठे रहते हैं। लगभग दस मिनट में इस तरफ के सारे पॉइंट पूरे हो जाते हैं किन्तु दो जगह जहां घोड़ा गाड़ी रुकती है वहां सायकिल पर आइसक्रीम का डब्बा लिए व्यक्ति रहते हैं। यात्रियों को देखते ही वहां के विभिन्न पॉइंट की जानकारी अच्छी हिंदी में देने लगते हैं। यद्यपि यह जानकारियां इन लोगों का सिद्ध मंत्र जैसा है इसलिए यात्रियों को अपनी भाषा से प्रभावित करते हैं। जानकारी विषयक सिद्ध सूचना मंत्र समाप्त होते ही दूसरा भाग आरम्भ होता है।
एक ही पॉइंट स्थल के दूसरे भाग में बिन बुलाए आइसक्रीम वाला अब यात्रियों को अपनी आइसक्रीम की विशेषता बतलाता है। उसके अनुसार आइसक्रीम पूरी तरह विभिन्न फूलों से बना है जैसे केवड़ा, गुलाब आदि। आइसक्रीम उवाच श्रद्धापूर्वक करता है और प्रसाद के रूप में चखने के लिए आइसक्रीम देता है। हथेली पर गिरा आइसक्रीम का लघु अंश बोलता है कि पुष्प स्वाद है। आईस्क्रीन वाले की लगभग दस मिनट की निःशुल्क जानकारी, ज्ञान और आइसक्रीम प्रसाद के बाद व्यक्ति 50 रुपये का छोटा स्कूप पुष्प निर्मित आइसक्रीम लेकर घोड़ा गाड़ी पर बैठ जाता है। आइसक्रीम चीनी से भरी हुई मिलती है जिसे मीठा दांत हिचकिचाते स्वीकार करता है तथा शेष उसे फेंक देते हैं। आइसक्रीम वाले की विपणन क्षमता अपना प्रभाव छोड़ जाती है और यात्रियों को याद आता है कि उसने यह भी कहा था कि स्ट्राबेरी और मिर्च की आइसक्रीम सुबह ही समाप्त हो गयी अब शाम की आएगी।
टेबल टॉप का अंतिम पड़ाव गुफा है जहां घोड़ा गाड़ी यात्रियों को उतारकर यह दिशानिर्देश देती है कि सामने ही द्वार है जिससे बाहर निकला जा सकता है और यात्रियों से विदा ले घोड़ा गाड़ी नए यात्रियों की तलाश में लग जाती है। गुफा में उतरने के लिए सीढियां हैं जिससे नीचे पहुंच गुफा प्रवेश का शुल्क देकर एक संकरी गुफा में प्रवेश किया जा सकता है जो मानव निर्मित है। संकरी गुफा छोटी है जिसमें लाइट व्यवस्था जानबूझकर उपलब्ध नहीं कराई गई है और लोग मोबाइल टॉर्च का प्रयोग कर रोमांचित होते हैं। भीतर शिल्पकार द्वारा निर्मित शंकर भगवान की मूर्ति है जिसे नमस्कार कर लोग लौट आते हैं।
गुफा से ऊपर आकर जब घोड़ा गाड़ी वाले द्वारा दिशानिर्देशित द्वार पर व्यक्ति पहुंचता है तो पाता है कि टेबल टॉप पर इससे पहले आ चुके लोग सीधे इसी द्वार से गुफा तक जाते हैं और वहां से प्रकृति का अवलोकन और गुफा यात्रा कर लौट आते हैं। इस विषय पर पूछने पर पता चला कि घोड़ा गाड़ी से जो दिखलाया जाता है वह सब नीचे घूमने पर स्वतः मिल जाता है। व्यक्ति शायद तब यह सोचता है कि क्या वह टेबल टॉप के विपणन थाप में फंस गया?
धीरेन्द्र सिंह
21.10.2024
17.09
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