मंगलवार, 26 मार्च 2024

RACHANA – HINDI POETRY GROUP - हिंदी भाषा पर चर्चा

RACHANA – HINDI POETRY GROUP - हिंदी भाषा पर चर्चा


यह एक हिंदी समूह है जिसका उद्देश्य सार्थक और सही हिंदी को प्रचारित और प्रसारित करना है। आश्चर्य होता है इस समूह के उद्देश्य और नियमावली को पढ़कर। यहां प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अपना नाम अंग्रेजी में रखनेवाला समूह भला हिंदी विषयक बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर लिया है। क्या यह समूह अपना नाम हिंदी में नहीं रख सकता ? हिंदी भाषा के प्रति दो अलग-अलग चेहरा दिखलानेवाला समूह ने मुझे आकर्षित किया और इस समूह का सदस्य बन गया। 


एक दिन में एक पोस्ट -  इस टिप्पणी के साथ एडमिन ने मेरी दो प्रेषित कविताओं में से एक को अस्वीकृत कर दिया। हिंदी के किसी अन्य समूह में इस प्रकार की कार्रवाई न दिखी। हिंदी के सजग प्रहरी के रूप में स्वयं को दर्शानेवाले इस समूह की दूसरी त्रुटि नजर आयी अतएव प्रश्न किया कि किस आधार पर रचना अस्वीकृत की गई तो इस समूह के एडमिन का उत्तर था – एक दिन में एक पोस्ट।


“धन्यवाद आपके सवाल हेतु, दरअसल दूसरे दिन तक पोस्ट रखने से पैनल के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है बार बार एक दूसरे को बताते रहना पड़ता है फिर कि ये अप्रूव कल करें इत्यादि। क्योंकि एक ही व्यक्ति पोस्ट अप्रूवल का काम नहीं देख रहा होता। धन्यवाद”

 उक्त उत्तर समूह के एडमिन द्वारा दिया गया जब मैंने प्रश्न किया कि रचना तो दूसरे दिन भी अनुमोदित की जा सकती थी। इस प्रकार का उत्तर किसी अन्य समूह से प्राप्त नहीं हुआ।


“नियमानुसार ये इमेज मान्य नहीं स्केच/पेंटिंग चल सकती है एक दो जगह त्रुटि ठीक कर पोस्ट भेजे”

“सीखाने की चाह नहीं रही कभी इस समूह की हम सभी एक दूसरे से सीख ही रहे चंद्र बिंदु नदारद * गगन हो सघन हो* रचना स्वीकृत है कल की रचना में फेस दिखाई दे रहा था इस कारण अस्वीकृत हुई”

उक्त की आरंभिक दो पंक्तियों में किस तरह समूह के एक सदस्य से एडमिन ने बात की इससे अलग कोई प्रत्यक्ष और दस्तावेजी नमूना क्या हो सकता है।


“आदरणीय आप को टाइप करने में चंद्र बिंदी की समस्या नहीं क्योंकि आप ने कई जगह उनका उपयोग किया, जैसे 'हूँ' शब्द में चंद्र बिंदी लगाई आपने। हमारा उद्देश्य लोगों तक जितना हो सही रूप में हिंदी जाए और उसमें आप सब के सहयोग की अपेक्षा।“

उक्त सम्प्रेषण से एडमिन की भाषा और अभिव्यक्ति संभली क्योंकि इस अवधि में मेरी ओर से ऐसे प्रश्न किए जा रहे थे जिनका उत्तर इस समूह से मांगा जाएगा समूह ने इसकी कल्पना तक न की होगी। मेरा उद्देश्य विवाद का नहीं था बल्कि लक्ष्य था इस समूह के एडमिन को हिंदी भाषा और गूगल इमेज के बारे में स्पष्टता का क्योंकि अस्पष्ट आधार पर मेरी रचना अस्वीकृत कर दूसरे दिन कतिपय संशोधन सहित पोस्ट करने की हिदायत दी गयी थी।


‘किसी भी व्यक्ति का चित्र लगाना नियमों के खिलाफ़ क्योंकि ये कॉपीराइट का उल्लंघन होता है कारण स्पष्ट शब्दों में नियमों में लिखा गया है। इन शब्दों को सुधारें चाँद, आँगन, साँकल, नीतियाँ नीदिया शब्द का अर्थ कृप्या बताएं मुझे उसका अर्थ नहीं पता। धन्यवाद’


कुछ हिंदी समूह के एडमिन स्वयं को हिंदी का सर्वज्ञाता मानकर रचनाओं पर अपनी बौद्धिकता दर्शाते हैं। इमेज साहित्य के बारे में अधूरी जानकारी के आधार पर समूह के सदस्य को अपूर्ण सलाह बेधड़क देते हैं। उक्त परिच्छेद में एडमिन की बौखलाहट स्पष्ट ज्ञात हो रही  परिणामस्वरूप अर्धचंद्रबिन्दु लगाकर कुछ शब्दों को सुधारने के साथ-साथ एक शब्द के अर्थ के बारे में पूछा जा रहा है। इस समूह के एडमिन का यह एक आक्रामक हिंदी ज्ञान प्रहार है जिससे यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया है कि रचनाकार को हिंदी नहीं आती है इस प्रकार प्राथमिक स्तर का हिंदी ज्ञान परोसा गया है।


“आदरणीय आप को टाइप करने में चंद्र बिंदी की समस्या नहीं क्योंकि आप ने कई जगह उनका उपयोग किया, जैसे 'हूँ' शब्द में चंद्र बिंदी लगाई आपने। हमारा उद्देश्य लोगों तक जितना हो सही रूप में हिंदी जाए और उसमें आप सब के सहयोग की अपेक्षा।“

एक तथ्य अब तक स्पष्ट हुआ कि एडमिन में एक या अधिक एडमिन हिंदी की अपनी बौद्धिकता समूह के सदस्य पर थोपना चाहते थे। एक प्रकार की हठवादिता इनमें स्पष्ट है। इसी समूह में एक या अधिक एडमिन ऐसे भी हैं जिन्हें हिंदी भाषा और हिंदी लेखन की समझ है और ऐसे एडमिन अपने सम्प्रेषण में पद की गरिमा अनुरूप सदस्य से सम्प्रेषण करते हैं। एक ही समूह में ऐसा विरोधाभास क्यों ?


"अर्धचंद्रबिन्दु" पर समूह की नवीनतम टिप्पणीने विराम तो दिया किन्तु संलग्नक में उल्लिखितकुछ शब्दों का अर्थ भी मुझसे पूछा गया है। यहप्रश्न उस समय रचनाकार की अभिव्यक्तिअवधारण, रचना में संलिप्त भावनाओं कीप्रभावशाली उड़ान के लिए लेखकीय छूट कोभी ध्यान में रखा गया है। हिंदी भाषा के प्रतिमेरी प्रतिबद्धता मुझे कहती है कि उठाए गएशब्द संबंधित प्रश्न हिंदी जगत के लिए एक अतिमहत्वपूर्ण बिंदु होगा जिसके आधार पर विभिन्न विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग तथा मास मीडिया के लिए एक उपयोगी दस्तावेज होगा।


क्या मैं संलग्नक संग आपके समूह के नाम का उल्लेख करते हुए सार्वजनिक मंचों पर अपना लेख पोस्ट नहीं कर सकता।“

उक्त सम्प्रेषण मेरे द्वारा द्वारा किया गया। यहां पर अपने सभी सम्प्रेषण को मैंने इसलिए नहीं दर्शाया है कि उससे यह प्रस्तुति बहुत लंबी हो जाती। उक्त प्रस्तुतियां स्पष्ट एक पूर्ण और स्पष्ट संवाद को प्रदर्शित कर रही हैं।


यह प्रस्तुति का मूल उद्देश्य हिंदी समूहों के एडमिन द्वारा समूह संचालन में हिंदी भाषा की दबंगता और अधूरे ज्ञान की ओर भी संकेत करती है। प्रायः इस पक्ष पर नहीं लिखा जाता है। सर्वप्रथम कनाडा नाम से एक हिंदी समूह के एडमिन से पोस्ट अनुमोदन पर प्रश्न किया तत्काल मुझे ब्लॉक कर दिया गया। दूसरी बार हंस पत्रिका समूह के एडमिन से पूछा कि हंस नाम अंग्रेजी में क्यों है। यह हिंदी में हो सकता है। यह संदेश मैंने अंग्रेजी में लिखा था तत्काल मुझे ब्लॉक कर दिया गया। यह दर्शाने का उद्देश्य यह है कि समूह के एडमिन के आगे सदस्य कमजोर हैं अतएव प्रश्न पूछने पर ब्लॉक करना एडनिन के ज्ञान का परिचायक है। रचना समूह की एक अच्छी बात यह है कि यहां लगातार संवाद होता रहा। संवाद आवश्यक है तर्क-कुतर्क, ज्ञान-अघ्ययन तो  समय संग विकसित होती रहती हैं।


इस प्रस्तुति का मुख्य उद्देश्य "रचना" हिंदी समूह नहीं है बल्कि "रचना" तो एक नमूना है। "रचना" एडमिन टीम के प्रति आभार प्रदर्शित करते हुए यह कहना चाहता हूँ कि यदि "रचना" समूह के एडमिन चर्चा न करते तो एडमिन कार्यप्रणाली और हिंदी भाषा विषयक सोच कैसे उभर कर आता? उल्लिखित है कि दो हिंदी समूह ने मेरे द्वारा किए गए प्रश्न पर मुझे तत्काल ब्लॉक कर दिया। सोशल मीडिया पर एडमिन की कुछ अनगढ़ बयार है जिसपर आवाज उठानी चाहिए जिससे इनमें गुणात्मक सुधार हो और हिंदी की सार्थक और प्रभावशाली प्रगति हो।


प्रसंगवश चलते-चलते एक वेब पोर्टल "अश्रुतपूर्वा" की याद आयी जिसके आरंभिक निर्माण में मेरा प्रमुख सहयोग था। इस वेब पोर्टल की अत्यधिक सक्रिय एडमिन, मॉडरेटर या वर्तमान में सह-संस्थापिका लिली मित्रा के द्वारा चयनित पोस्ट पर मैंने टिप्पणी की। वह पोस्ट बिहार राज्य के किसी महाविद्यालय के हिंदी प्राध्यापक का था शायद। लिली मित्रा ने न मुझे पोर्टल से ब्लॉक किया बल्कि मेरी समस्त रचनाओं को भी पोर्टल से हटा दिया। एक हिंदी पोर्टल को खड़ा करने के मेरे कई प्रकार के सहयोग को भुलाते हुए मुझे पोर्टल से निष्कासित किया गया। वर्तमान में मेरा मात्र एक ही वीडियो इस वेब पटल पर है जिसमें मैंने आरंभ में आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन का संचालन किया था वह भी इसलिए कि सम्मिलित लोग लिली मित्रा के आदरणीय हैं अन्यथा मेरे अन्य वीडियो की तरह इसे भी पोर्टल से हटाया जा सकता था।


धीरेन्द्र सिंह

25.03.2024

22.26


इसे सार्वजनिक करने से पहले इस पटल को दिखाना आवश्यक है। प्रतिक्रिया अपेक्षित है। (नोट :-"रचना" ने बिना किसी प्रतिक्रिया के इस पोस्ट को अस्वीकृत कर दिया।)

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