भाषा रचता शब्द
भाषा शास्त्र में शब्द की महत्ता और एकल इयत्ता है। वैश्विक गांव में जब विभिन्न भाषा और संस्कृति एक-दूसरे के समीप आते जा रहे हैं तब ऐसी स्थिति में भाषा की पारंपरिक शब्दावली को बनाए रखना एक चुनौती है जिससे विशेषकर औपनिवेशिक देश गुजर रहे हैं। हिंदी भाषा भी इनमें से एक है।
भारत देश के एक बड़े प्रकाशन द्वारा अपने दैनिक में मीठा शब्द का प्रयोग रोमन भाषा में किया गया है।(कृपया संलग्नक देखें) क्या यह हिंदी भाषा के लिए एक उत्साहजनक स्थिति कही जाएगी? कुछ अति उत्साही लोग कहेंगे कि देखिए हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन गयी है और लोकप्रिय अंग्रेजी दैनिक ने हिंदी के मीठा शब्द को अपने परिशिष्ट के शीर्षक में MEETHA लिखकर प्रयोग किया है जो अंग्रेजी पर हिंदी के प्रभुत्व का परिचायक है। ऐसी बोली हिंदी के कुछ मंचों पर सुनने को मिलती है पर ऐसी धारणा रखनेवाले संलग्नक में यह भी देखते हैं कि :-
1. देवनागरी लिपि को खतरा :- हिंदी के शब्दों को रोमन लिपि में लिखने और उसके प्रयोग को बढ़ाने से देवनागरी लिपि के लोप होने का खतरा है। मोबाइल के रोमन की बोर्ड इस दिशा में पहले से सक्रिय हैं।
2. भारतीय संस्कृति पर आघात :- संलग्नक के शीर्षक में मीठा शब्द के आगे किसी भारतीय मिष्ठान का फोटो नहीं है बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनी का लोकप्रिय चॉकलेट है। यह भारतीय पर्व आयोजन की परम्परा में व्यावसायिक लाभ और परम्परा पथ भ्रमित करने का प्रयास नहीं है?
3. लंदन का दैनिक नहीं है :- संलग्नक के शीर्षक में meetha शब्द का प्रयोग लंदन के दैनिक में नहीं होगा और न ही इस प्रकार का परिशिष्ट, यह मात्र भारतीय पाठकों को रिझाने का प्रयास है। इस प्रकार का शब्द प्रयोग अंग्रेजी भाषा की जीत है। क्या लंदन या वाशिंगटन के दैनिक में शीर्षक हिंदी के किसी शब्द का प्रयोग किए हैं ?
4. प्रायोजित परिशिष्ट :- यह भी हो सकता है कि दैनिक के इस परिशिष्ट को बहुराष्ट्रीय कंपनी ने प्रायोजित किया हो जो जानता है बिना स्थानीय भाषा के स्थानीय संस्कृति में किसी प्रकार भी पहुंचा नहीं जा सकता।
यह विषय विचारणीय भी है और चिंतनीय भी।
धीरेन्द्र सिंह
28.10.2024
10.49
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