शनिवार, 28 जून 2025

मचान

कदम अब कदम हैं कहाँ वह उड़ान 

जनम अब जनम है कहाँ वह मचान 


हंसी-खुशी मिलजुलकर आँगन गहना 

इसका दिया उसका लिया और पहना 

परिवार के चलन में  सब बड़े थे सुजान 

जनम अब जनम है कहाँ वह मचान 


है सौभाग्त्शाली संग बुजुर्ग जो हैं पास 

कितना भी पढ़ो इनमें बात कुछ खास 

अनुभव के मचान में छिपे कई निदान 

जनम अब जनम है कहाँ वह मचान 


दादा-दादी, नाना-नानी अनुपम बानी 

परिवार में आत्मदीप्ति कोई ना सानी 

कल जो नींव थी चर्चित अब विज्ञान 

जनम अब जनम है कहाँ वह मचान।


धीरेंद्र सिंह

28.06।2025

13.32






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