शुक्रवार, 27 जून 2025

अब मेरी कहानी भी है उनकी जुबानी

कब कही रूहानी है जगती


आह्लाद में संवाद का अपना सुख 

बेबात के विवाद का अपना दुख

सुख-दुख में है सबकी कहानी 

कब कही रूहानी है जगती जवानी 


एक उम्र कह रही सुमिरन करें 

भाव न कहे लोग हैं सघन कहें 

अपना कहाँ समाज की मनमानी 

कब कह रही रूहानी है जगती कहानी 


परिपक्वता है ओढ़े झूठ का लबादा 

गंभीरता का क्षद्म दिखलाता श्लाघा 

बाधा का प्यादा उम्र की ज़िंदगानी 

कब कह रही रूहानी है जगती कहानी 


जो हैं तोड़ते बंधन है स्वयं  का वंदन 

उभरती भावनाओं को हैं  देते  चन्दन 

ऐसे ही लोग जीव आत्म कद्रदानी

कब कह रही रूहानी है जगती कहानी।


धीरेंद्र सिंह 

27.06.2025

14.08






Subscribe to राजभाषा/Rajbhasha

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें