शनिवार, 13 जुलाई 2024

लटकती संभावनाएं

युक्तियों की अलगनी पर लटकती संभावनाएं प्रौद्योगिकी का उपहार है। यह एक ऐसा उपहार है जो मानवीय कल्पनाओं से इतर है। अत्यधिक कम समयावधि में प्रौद्योगिकी के इस उपहार में नव परिवर्तन और नव विकास उपलब्ध होते रहते हैं। प्रौद्योगिकी ने भाषाओं की दीवार को अत्यधिक कुशलतापूर्वक और सहजता से ढहा दिया है। अब विश्व में कहीं पर भी हिंदी में स्वयं को अभिव्यक्त किया जा सकता है बशर्ते अनुवादक उपकरण की उपलब्धता सामने वाले के पास भी हो। मोबाइल भी भारतीय भाषाओं का लक्ष्य भाषा में अनुवाद कर रहा है। अनुवाद की इस सुविधा से किसी भी भारतीय भाषा के सॉफ्ट प्रति का अनुवाद कर इतर साहित्य को भी हिंदी में पढ़ा जा सकता है।


प्रौद्योगिकी ने हिंदी भाषा के विकास और विन्यास के लिए अनेक द्वार खोल दिये हैं जिनमें निरंतर वृद्धि होती जा रही है। हिंदी जगत के युवा कल्पनाशील रचनाकार अपनी विभिन्न प्रस्तुतियों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रस्तुत करते जा रहे हैं। हिंदी का एक वर्ग अभी भी प्रौद्योगिकी से दूर है और यह वर्ग अधिकांशतः उम्र में अति वरिष्ठ हिंदी रचनाकार का है। अपनी योग्यता को अपनी कल्पनाओं के अनुरूप प्रस्तुत करने की अनंत संभावनाएं और क्षमता प्रौद्योगिकी की ही देन है। कुछ अति दंभी हिन्दीवाले अभी भी प्रौद्योगिकी के छोटे-नए अखाड़े में अपनी उपस्थिति दर्शाने में हिचक रहे हैं। इन जैसे तथाकथित हिंदी विद्वानों को मंच और मंच की झूठी प्रशंसा की आदत पड़ चुकी है इसलिए मंच के सिवा अन्यत्र स्वयं को उपस्थित करने का इनमें न तो आत्मविश्वास है और न ही प्रतिभा। 


फलों के बागान में लटकते फलों को देखकर यह निर्धारित करना कठिन हो जाता है कि किस फल को तोड़कर व्यक्ति ग्रहण करे। यही स्थिति हिंदी की है। प्रौद्योगिकी की अलगनी पर हिंदी सृजित नव संभावनाएं लटक रही हैं। व्यक्ति की प्रतिभा जिस संभावना को अपने अनुरूप और अनुकूल पाए ग्रहण कर सकता है। प्रतिदिन नई प्रस्तुतियां और अभिव्यक्तियां हिंदी को प्रौद्योगिकीमुखी बना रही हैं। हिंदी की प्रकाशित पुस्तकें भी अपनी सॉफ्ट प्रति तैयार कर प्रौद्योगिकी शरणागत हो रही हैं। अब यह चाहिए कि प्रौद्योगिकी में हिंदी के विभिन्न स्थलों पर प्रस्तुत के कथ्य, तथ्य और स्वास्थ्य का विश्लेषण किया जाए और निगरानी रखी जाए। भविष्य प्रौद्योगिकी में समाहित हिंदी का ही है।


यह भी उल्लेखनीय है कि एक सर्जनशील मन को सर्जना की असीम संभावनाएं प्रदान करनेवाला प्रौद्योगिकी लोकप्रियता और प्रसिद्धि भी प्रदान करता है। इस माध्यम से धनार्जन की भी प्रचुर राह हैं। मंच, मुद्रण और स्वमुग्ध वाली स्थितियां हिंदी जगत की पुरानी परंपराएं हो गयी हैं। प्रौद्योगिकी में हिंदी सरिता का प्रवाह अत्यंत सुखद है।


धीरेन्द्र सिंह

11.07.2024

10.57 to राजभाषा/Rajbhasha

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