शनिवार, 22 जून 2024

तुमसे तुमने तुनकमिजाजी

तुनकमिजाज तो तुम पहले से ही थी। शिक्षित व्यक्ति प्रायः तुनकमिजाज होते हैं जिसका प्रतिशत सबमें अलग-थलग होता है। परिचय के आरंभ में कितना क्षद्म व्यवहार की थी तुम। क्या ? अनुचित और अशोभनीय वाक्य बोल गया। तो क्या था वह व्यवहार ? नहीं उल्लेख नहीं करूंगा लेखन में कदापि नहीं। निजता का हनन होगा। अब यह मत कहना कि इतना लिखकर सुधीजनों को एक स्पष्ट संकेत दे दिया जिसपर उनकी कल्पनाएं नए भाव गढ़ेंगी। छोड़ो भी मन कहां भटक गया। नारी के मनोभाव समझने का साहस कब अपनी स्वाभाविक चेतना स्पंदन को समझ पाता है। समझना अत्यधिक दुरूह कार्य है।


शिक्षा मतलब उच्च शिक्षा अर्थात स्नातकोत्तर जो तुम्हारी शिक्षा है और विश्वविद्यालय भी जगत प्रसिद्ध। इस शिक्षा के बाद निर्मित स्व-समूह में एक पहचान  को बढ़ाता है। समूह में चापलूस भी मिल जाते हैं विशेषकर विपरीत लिंगी और फिर तो तुनक की धमक से पूरा परिवेश गूंज जाता है। बड़ा प्यारा और अपना लगता है चापलूस। तुम्हारे जीवन में तो चापलूस ही थे सब। क्यों ? बुरा लगा। तुम्हारे व्हाट्सएप्प पर कितना रंगीन नजारा रहता था। केश को अपने चेहरे पर कर उड़ाती शोख लट और उत्प्रेरित करती तुम्हारी बड़ी बाली खींच लेती थी पुरुषों को। क्या सब पुरुष थे? पुरुष तो चापलूस नहीं होता और न वह प्रतीक्षारत रहता है कि कब तुम्हारी पोस्ट आए और तुम्हें निहारते तुम्हारे सौंदर्य की कसीदाकारी करें। प्यार और सौंदर्य के विकृत रूप थे सब, शायद कुछ वर्षों में समझ गयी होगी।


तुम नारी हो इसलिए एक सहज आकर्षण था यह अर्धसत्य होगा, मूल तो तुम्हारी मानसिक सर्जना थी। याद है तुम्हें कई बार कहा था कि यह "तुम" संबोधन भी मैं नहीं करना चाहता पर क्या करता तुम नाराज हो जाती थी। आप में आदर, अभिमान (तुम्हारे साथ का), नारी अस्मिता ही तो समेट रखा था जिसका प्रयोग न करने दी। व्हाट्सएप्प पर तुम्हारे चापलूस पुरुष भी तो तुम्हें "तुम" कहकर ही बुलाते थे। कई बार कहा कि यह सब तुम बोलकर तुम्हारा सम्मान नहीं करते। तुम चुप रहती थी। एक दिन बोली कि तुम्हारे पति भी व्हाट्सएप्प को देखते हैं और मेरी प्रतिक्रिया उन्हें बुरी लग सकती है। तुम्हारे व्हाट्सएप से मैं तत्क्षण दूर हो गया यह सोचते हुए कि अन्य पुरुष तुम-तड़ाक बोलते हुए कितनी आत्मीय और श्रृंगारिक बातें लिखते थे क्या वह तुम्हारे पति के समझ के परे था। नहीं बोला यह वाक्य बस हट गया और तुमने अपने व्हाट्सएप से मुझे ब्लॉक कर दिया। तुम याद आई तो लिख दिया बस यहीं तक ही तुनकमिजाज कवयित्री जी।


धीरेन्द्र सिंह

22.06.2024

14.06


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