शुक्रवार, 21 जून 2024

ए आई और साहित्य

कृत्रिम बौद्धिक्त (AI) और साहित्य


साहित्य से तात्पर्य हिंदी ललित साहित्य का ही नहीं है बल्कि जीवन से जुड़े विभिन्न साहित्य का है जिसे यहां साहित्य शब्द में समेटा गया है। कार्यालयों में कृत्रिम बौद्धिक्त सबसे पहले आनुवाद क्षेत्र में अपनी धमक की अनुगूंज विस्तारित किया। भारतीय रेल के टिकट द्विभाषिक मिलना आरंभ हुआ। इसके बाद कार्यालय अनुवाद में कृत्रिम बौद्धिकता पहुंची और अब अनुवादक पर निर्भरता को कम कर रही है। इस प्रकार जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कृत्रिम बौद्धिकता सहजतापूर्वक अपने पांव पसार रही है।


भारत के आम चुनाव में जीनिया ए आई ने एक सफल सेफोलॉजिस्ट की भूमिका निभाई और विभिन्न भारतीय राजनैतिक पार्टियों द्वारा जीते जानेवाली सीटों का अनुमान लगभग सत्य के करीब पहुंचाया जबकि अन्य मानव चुनाव सीट विश्लेषक जीनिया तक नहीं पहुंच पाए। प्रसंगवश इस तथ्य का भी उलकेख आवश्यक है कि इंग्लैंड में होनेवाले चुनाव में सर्वप्रथम कृत्रिम बौद्धिक्त प्रत्याशी स्टीव हैं जिनके जीतने की संभावना प्रबल लग रही है। इस प्रकार जीवन के लगभग हर क्षेत्र में कृत्रिम बौद्धिकता अपनी पहचान बना रही है। रोबोट के रूप में रेस्तरां से ऑपरेशन थियेटर तक ए आई पहले से ही उपस्थित है।


चैट जीपीटी के सुखद अनुभूति से अधिकांश परिचित होंगे जो अब मोबाइल में अपनी वर्चस्वता का ध्वज लहरा रहा है। कुछ दिन पहले दुबई में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आयोजन में भारत के इंजीनियर आदित्य ने ए आई से एक कहानी लिखवाया। ए आई ने 200 शब्दों में अंग्रेजी में कहानी लिख दिया। यह कहानी अंतरिक्ष, परग्रहवासी और अंतरिक्ष यात्री कमांडर एल मोरो पर आधारित है जिसमें रोचकता विद्यमान है।


शीघ्र ही हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में कृत्रिम बौद्धिक नाम से लिखित कहानी और उण्यास प्राप्त होंगे। काव्य विधा में भी ए आई अपनी पहचान बना लेगा। भविष्य में मनुष्य द्वारा लिखित साहित्य का ए आई द्वारा लिखित साहित्य से तुलना होगी। यह संभावना हो सकती है कि कृत्रिम बौद्धिकता नाम का हिंदी साहित्य में एक नया खंड निर्मित हो और स्नातकोत्तर कक्षाओं में कृत्रिम बौद्धिकता साहित्य की शिक्षा प्रदान करें। 


धीरेन्द्र सिंह

22.06.2024

10.45


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