रविवार, 8 जनवरी 2023

विश्व हिंदी दिवस की प्रासंगिकता

विश्व हिंदी दिवस की प्रासंगिकता


ज्ञातव्य है कि 10 जनवरी का दिन प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के वार्षिक कार्यक्रम में विश्व हिंदी दिवस आयोजन का दिशानिर्देश नहीं है। इस दिवस को मनाने में केंद्रीय कार्यालय, सरकारी बैंक और उपक्रम उत्साह नहीं दिखलाते हैं। हिंदी दिवस 14 सितंबर का आयोजन जिस उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है वह बात विश्व हिंदी दिवस में क्यों नहीं झलकती। इसके निम्नलिखित कारण हैं :-


1. वर्तमान में हिंदी भारत देश मे केंद्रीय कार्यालय, बैंक, उपक्रम आदि के समस्त कर्मचारियों को पूर्णतया कार्यसाधक ज्ञान तक शिक्षित करने के लिए संघर्षरत है। हिंदी दिवस का पूरे देश में उत्साह के साथ आयोजन बाद ही विश्व हिंदी दिवस का उत्साही और परिणामदायी आयोजन संभव है।


2. भारत देश की संपर्क भाषा के रूप में स्थापित होने के लिए हिंदी प्रयासरत है।

ऊक्त दो प्रमुख कारणों से विश्व में निर्मित करने में हिंदी पूर्णतया सफल नहीं हो पाई है। विश्व में हिंदी को एक पहचान देने के लिए विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत में प्रवासी भारतीयों की आयोजित वार्षिक बैठक और विश्व हिंदी दिवस का अन्योन्याश्रित संबंध है। क्या प्रवासी भारतीयों पर ही हिंदी की वैश्विक पहचान की पूरी निर्भरता है? यदि नहीं तो क्या विश्व हिंदी दिवस का कोई निर्धारित योजना है या मार्गदर्शी बिंदु हैं? यदि उत्तर हां है तो कहां उपलब्ध हैं यह और यदि नहीं तो किस आधार पर इस दिवस का आयोजन किया जाता है।


हमारा देश उत्सव का देश है इसलिए उत्सव मना लेने भर से हिंदी को विश्व में अपनी पहचान बनाने के लिए आश्वासन न खुद को दे सकते हैं न हिंदी को इसलिए निम्नलिखित मदों को दृष्टिगत रखते हुए कार्रवाई अपेक्षित है :-


1. हिंदी का प्रौद्योगिकी से पूर्ण, विश्वसनीय और सहज समामेलन की आवश्यकता है। 


2. विदेशों से प्रकाशित विभिन्न हिंदी पत्रिकाओं में विदेशियों की रचनाओं को प्रकाशित करने पर बल दिया जाना चाहिए।


3. दूतावास में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन कर उस देश के गैर भारतीय नागरिकों को सम्मानित करना चाहिए।


4. हिंदी की कविता, कहानी को कम महत्व देते हुए विदेशी हिंदी जानकारों द्वारा लिखित संस्मरण आदि विषयों को प्रकाशित किया जाए। हिंदी के जानकार गैर भारतीय विडिशी नागरिक द्वारा उनकी अपनी भाषा में लिखी रचना का हिंदी में अनुवाद कर पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित किया जाए।


5. हिंदी ज्ञाता विदेशियों का हिंदी में संबोधन को हिंदी के विभिन्न समूह परिचारित करें।


6. वैश्विक स्तर का स्वयं को दर्शानेवाली पंजीकृत संस्थाएं अपने वेब पृष्ठ, समूह, फेसबुक आदि पर गैर भारतीय विदेशियों को सम्मिलित कर उनके विचारों आदि को लोगों के लिए प्रस्तुत करें।


विश्व हिंदी दिवस की सार्थकता भारत में इस दिवस को मनाने से नहीं होगी बल्कि विदेशी हिंदी ज्ञाताओं को हिंदी जगत द्वारा गर्मजोशी से अपनाने से सार्थकता सिद्ध होगी। इस विषय पर बहुत कुछ लिखा और बोला जा रहा है जो विभिन्न सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध है अतएव विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।


धीरेन्द्र सिंह


Subscribe to राजभाषा/Rajbhasha

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें