गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022
राजभाषा अधिकारी व उच्चाधिकारी
राजभाषा अधिकारी बनाम उच्चाधिकारी
सामान्य जीवन में जिस तरह सास-बहू के आपसी झगड़े को प्रायः आम बोलचाल में एक हास्य निर्मित के लिए किया जाता है वैसा ही कुछ राजभाषा अधिकारी और उच्चाधिकारी के बीच है। यूं तो कार्यालय में प्रत्यक्ष झगड़ा तो नहीं होता है किंतु मानसिक तनाव देखने को मिलते रहता है। यह झगड़ा क्यों होता है इसका सामान्य अवलोकन निम्नानुसार किया जा सकता है :-
1. राजभाषा अधिकारी की कमजोरी : अधिकांश राजभाषा अधिकारियों की राजभाषा कार्यान्वयन कौशल की अज्ञानता कार्यालय में राजभाषा अधिकारी को बेकार में टाइम पास करनेवाला स्थापित करना आरंभ करता है। कार्यालय के अन्य विभाग की उपलब्धियां, चुनौतियां, चपलताएं नित या आवधिक तौर पर प्रस्तुत करते रहते हैं वहीं राजभाषा या हिंदी विभाग यदा-कदा ही अपना उल्लेखनीय प्रदर्शन कर पाते हैं इसलिए यह भ्रम एक विश्वास के रूप में निर्मित होता है कि राजभाषा अधिकारी के पास पूरे दिन का कार्य नहीं रहता है। यही भाव निर्मित होने पर उच्चाधिकारी उस राजभाषा अधिकारी को एक कामचोर अधिकारी के रूप में देखने लगता है। इस प्रक्रिया पर चर्चाओं के कई पक्ष हैं।
2. उच्चाधिकारी की सीमाएं :- उच्चाधिकारी राजभाषा की गहनता से अनभिज्ञ होता है। वह केवल प्रशासनिक निर्णय के लिए होता है। राजभाषा अधिकारी का दायित्व है कि राजभाषा के प्रचार-प्रसार की अपनी योजनाओं को।उच्चाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर प्रशासनिक अनुमति ले और यह प्रमाणित कर की राजभाषा या हिंदी विभाग भी अति सक्रिय और अति व्यस्त विभाग है। इस प्रकार की गतिविधाएं दर्शानेवाले गिने-चुने राजभाषा अधिकारी हैं।
3. असफल राजभाषा अधिकारी कहे उच्चाधिकारी :- एक सफल राजभाषा अधिकारी अपने उच्चाधिकारियों से लयबद्धता कायम कर लेता है और राजभाषा कार्यान्वयन में धमाकेदार कार्यनिष्पादन दर्शाता है। उच्चाधिकारियों को ऐसे राजभाषा अधिकारी पर गुरुर होता है। असफल राजभाषा अधिकारी अपनी असमर्थता को छुपाने के लिए प्रायः कहता है कि उच्चाधिकारियों से सहयोग नहीं मिलता है।
इस प्रकार प्रत्येक सरकारी कार्यालय, बैंक तथा उपक्रम में राजभाषा कार्यान्वयन गतिशील है। असमर्थता की खुमारी उच्चाधिकारी, धन्य ऐसे राजभाषा अधिकारी😊
धीरेन्द्र सिंह
href="http://feeds.feedburner.com/blogspot/HgCBx. rel="alternate" type="application/rss+xml">Subscribe to राजभाषा/Rajbhasha
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें