शनिवार, 17 सितंबर 2022

राजभाषा और उलझ गए

राजभाषा और उलझ गई 14 सितंबर, 2022 को सूरत में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में गृह मंत्री श्री अमित शाह ने हिंदी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं के समामेलन की बात कही। यह नई बात नहीं है। पिछले बीस वर्षों से यही बात की जा रही है। यह विचार व्यावहारिक कितना है उसपर आज तक विचार नहीं किया गया है। कैसे हिंदी में अन्य भारतीय भाषाओं की शब्दावली ग्रहण की जाएगी। शब्दावलियों के निर्माण का अनवरत सिलसिला जारी है। गृह मंत्री ने ऑनलाइन "शब्द सिंधु शब्दकोश" का लोकार्पण किया। प्रश्न यह है कि मात्र शब्दावली निर्माण से क्या होगा? गृह मंत्री श्री अमित शाह ने यह भी सुझाव दिया कि युवा वर्ग को राजभाषा के प्रति विशेष तौर पर जागरूक बनाया जाय। कौन बनाएगा युवा कार्मिकों को राजभाषा में कार्य करने के लिए तत्पर? राजभाषा अधिकारी का यह कार्य है। क्या राजभाषा अधिकारियों में मानसिक सोच में राजभाषा सोच को स्थापित करनी की योग्यता है? उत्तर है नहीं। राजभाषा की गति राजभाषा या हिंदी अधिकारी तक पहुंच कर टूट जाती है। यही कारण है कि वर्ष दर वर्ष हिंदी दिवस पर राजभाषा के एक ही सुर सुनाई देते हैं। इन सबके बावजूद भी गृह मंत्री श्री अमित शाह की बातों में एक आशा अवश्य झलकती मिली है जिसे भारत सरकार के राजभाषा विभाग अपने अथक प्रयास से पूर्ण भी कर सकती है। यदि ऐसा होगा तो निश्चित ही एक अविस्मरणीय ऐतिहासिक सफलता प्राप्त होगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने संबोधन में स्पष्ट दिशानिर्देश दिया है कि बैंकों में फ्रंट डेस्क पर कार्य करनेवाले स्टाफ को स्थानीय भाषा का ज्ञान होना चाहिए। सामान्यतया फ्रंट डेस्क पर लिपिक रहते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा का ज्ञान होता है और जो सामान्य बैंकिंग के कार्य सुचारू ढंग से अपनाते हैं। यदि किसी ग्राहक को ऋण आदि पर चर्चा करनी हो तो उन्हें अधिकारी वर्ग के पास जाना पड़ता है। वित्त मंत्री का कहना है कि अधिकारी ग्राहक को हिंदी में बात करने के लिए नहीं बोल सकते बल्कि अधिकारी को खुद उस राज्य की भाषा सीखनी चाहिए। बैंकिंग में सामान्यतया एक अधिकारी एक राज्य में चार वर्षों तक कार्यरत रहता है फिर उसका स्थानांतरण दूसरे राज्य में हो जाता है। इस प्रकार वह कई राज्यों में स्थान्तरित होता है तो कैसे वह कई राज्यों की भाषा सीख सकता है? मूलतः वित्त मंत्री का संकेत त्रिभाषा सूत्र की ओर है जो बैंक के लिए एक सामान्य कार्य नहीं। संविधान में राजभाषा विषयक अधिनियम में परिवर्तन किए बिना ऊक्त दो माननीय मंत्रियों के दिशानिर्देशों का पूर्ण अनुपालन कठिन लगता है। परिवर्तन यह कि राजभाषा हिंदी के साथ अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में चलती रहेगी। प्रतिवर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं तदनुसार दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं और सरकारी कामकाज में अंग्रेजी का प्रयोग बढ़ते जाता है। धीरेन्द्र सिंह

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