बुधवार, 2 जुलाई 2025

लाईक और कमेंट्स

सोशल मीडिया पर लाईक और कमेंट्स के द्वारा किसी भी पोस्ट को सराहा जाता है। अधिकांश सोशल मीडिया का उपयोग करनेवाले लाईक और कमेंट्स के अंतर को नहीं समझते हैं। यहां पसंद और प्रतिक्रिया शब्द का प्रयोग करुण तो 59% उपयोगकर्ता इस शब्द का अर्थ ही नहीं समझ पाएंगे जो कि हिंदी भाषा के दुर्गति का प्रतीक है। हिंदी में लिखनेवाले बोलचाल की शब्दावली का प्रयोग करते हैं जिससे उनके भाव जो कहना चाहते हैं वह बोलचाल के शब्दावली में ठीक से नहीं कर पाते हैं। इसी प्रकार जो लोग किसी रचना को न तो पढ़ते हैं और न समझते हैं ऐसे लोग विशेषकर लिखित पोस्ट को लाइक कर अपना सोशल मीडिया फ़र्ज़ निभाते हैं। लाईक वीडियो के लिए उचित है या मैसेज के लिए किन्तु किसी लिखित पोस्ट कविता, कहानी आदि के लिए लाईक का प्रयोग करना यह दर्शाता है कि लाईक करनेवाले ने रचना को नहीं पढ़ा।


कमेंट्स लिखने को पाठक विवश हो जाएगा यदि वह लिखित पोस्ट को पढ़े क्योंकि पढ़ने के बाद मन सहमत, असहमति, सुझाव आदि देने को तत्पर रहता है  प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि पोस्ट को महत्व दिया गया है और लेखन को प्रोत्साहन। यदि किसी भी समूह में किसी रचनाकार को कमेंट्स के बजाय मात्र लाईक मिलने लगे तो यह स्पष्ट संकेत है कि उसकी रचना को न तो पढ़ा जा रहा है और न महत्व दिया जा रहा है। यदि ऐसी स्थिति निर्मित होती है तो कमेंट्स से प्रभावित रचनाकार को वह समूह छोड़कर दूसरे समूह में जाना चाहिए जहां उसका लेखन सार्थक साबित हो।


सुबह चलते-फिरते गुड मॉर्निंग आदत के अनुसार भाव हीन बोलनेवालों की तरह लिखित पोस्ट पर लाईक है। यदि रचना का सम्मान है तो मात्र लाईक ही मिलता रहे तो यह एक चेतावनी देता संकेत है कि यहां ऐस रचना की पूछ नहीं इसलिए दो शब्द लिखना भी कोई समूह सदस्य उचित नहीं समझता है। लिखित पोस्ट पर लाईक बच्चों का झुनझुना है।


धीरेन्द्र सिंह

03.07.2025

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