गुरुवार, 22 अगस्त 2024

टेढ़ी होती हिंदी

बांकपन हिंदी का एक ऐसा शब्द है जिसके माध्यम से अनेक सरस अभिव्यक्तियां की जाती रही हैं। यदि यही बांकपन हिंदी भाषा की अभिव्यक्तियों को टेढ़ा कर दे तो क्या कहा जा सकता है? किसे इसके लिए दोषी ठहराया जाएगा? निरुत्तर हो जाता है व्यक्ति क्योंकि जब भाषा निरंतर क्रमशः टेढ़ी होती जाती है तो इस “बांकपन” की सहज अनुभूति नहीं होती है बल्कि व्यक्ति का मानस भी भाषा के संग “बांकपन” ग्रहण करते टेढ़ा होते जाता है। भाषा इस प्रकार अपना तांडव करती है जो आजकल हिंदी भाषा में जोरों पर है। दोषी को ढूंढने के प्रक्रिया में चिंतन अंततः वहीं जाकर ठहर जाता है जहां पर हिंदी के विभिन्न दायित्व निर्वहन करनेवाले ज्ञानी होते हैं। लीजिए हिंदी के लिए हिंदी वाले ही दोषी? क्या यह एक कुंठाग्रस्त अभिव्यक्ति नहीं है? क्या इसे पूर्वाग्रह नहीं कहा जा सकता है? 


वर्षों से ही हिंदी भाषा में अनेक शब्द प्रवेश कर रहे हैं और वह शब्द सीधे हिंदी शब्द को आघात नहीं पहुंचा रहे हैं। हिंदी में “की” और “किया” पर दिल्ली तथा आसपास के शहरवासी सीधे आक्रमण कर “की” को “करा” बना दिये हैं और “किया” को “करी” में परिवर्तित कर चुके हैं। इन क्षेत्र के अधिकांश धड़ल्ले के साथ हिंदी के शब्दों को पदच्युत कर “करा-करी” बोल रहे हैं। आश्चर्य तो तब हुआ जब उच्चतम भारतीय पद के लिए प्रशिक्षण संस्थान चलानेवाली भी “करा-करी” से स्वयं को न बचा पाई। हिंदीभाषी क्षेत्र द्वारा हिंदी शब्दों पर इतना प्रखर प्रहार वर्तमान भारतीय शब्द विज्ञान में नहीं मिलेगा। यह मात्र एक उदाहरण स्वरूप है। भारत की अन्य भाषाओं के शब्द भी हिंदी शब्द को खिसकाने का प्रयास किए पर या तो उनका प्रयोग राज्य विशेष तक सीमित रहा या क्रमशः लुप्त हो गया। “करा-करी” में दृढ़ता दिखलाई पड़ रही है।


 हिंदी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव जग जाहिर है।  पहले बोलचाल में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग खूब होता था। दो दशक पहले हिंदी के वाक्यों में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग शिक्षित होने का एक अघोषित प्रमाण माना जाता था। इस अवधि में हिंदी की वाक्य रचना और शब्दावली चयन टेढ़ी होना आरंभ की जिसे शाब्दिक परिवर्तन के रूप में माना जा सकता था। इस अवधि के विशेषकर गद्य रचनाकार भी लेखन में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करने लगे। इसी समयावधि में टाई संस्कृति भी जोरों पर थी। अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा ने भी हिंदी और अंग्रेजी मिश्रित खिचड़ी भाषा के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। अंग्रेजी भाषा ने हिंदी के मौखिक प्रयोग में परिवर्तन ला दिया।


भारतीय भाषाओं ने भी अपनी शब्दावली के द्वारा हिंदी को परिवर्तित करने का प्रयास आरंभ कर दिया है जिससे हिंदी में अपरिचित शब्दावली प्रायः मिल जाते हैं। “बवाल काटा” का अर्थ क्या निकाला जाए? सजा काटने के अनुरूप यह “बवाल काटा” परिलक्षित होता है। प्रतिदिन हिंदी में ऐसे शब्दों का प्रयोग मिल रहा है जो दशक पूर्व तक नहीं थे। हिंदी परिवर्तित हो रही है, विकसित हो रही है या टेढ़ी हो रही है इसका सहज मूल्यांकन प्रत्येक हिंदी भाषा प्रेमी कर सकता है।


धीरेन्द्र सिंह

23.08.2024

08.47



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