शनिवार, 25 नवंबर 2023
हंस पत्रिका समूह - अव्यवस्था की भरमार
हंस पत्रिका समूह – अव्यवस्था की भरमार
हिन्दी के कई अच्छे समूह हिन्दी लेखन के विकास और हिन्दी भाषा की सुदृढ़ता पर कार्य कर रहे हैं। चयनित हिन्दी समूहों की सूची में एक नाम हंस पत्रिका भी थी। “थी” शब्द इसलिए कि वर्तमान में हंस पत्रिका समूह ने मुझे ब्लॉक कर दिया है। बिना कारण तो कोई किसी को ब्लॉक करता नहीं। मेरे द्वारा कुछ ऐसा अशोभनीय कार्य अवश्य किया होगा जिससे हंस पत्रिका समूह के लिए खतरा रहा होगा ही बौद्धिकता और स्पष्टता की बयार चलाते हैं शेष समूह एकतरफा निर्णय लेते हैं जिसमें हंस पत्रिका समूह भी एक हिन्दी समूह है और जिस प्रश्न का उत्तर हंस पत्रिका समूह के पास नहीं रहा होगा। यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि हंस पत्रिका समूह ने अपने निर्णय और सोच के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। हिन्दी जगत में कार्य करनेवालों में गिने-चुने समूह ही हिन्दी की पारदर्शी बयार को संचालित कर पाते हैं अन्यथा अधिकांश हिन्दी समूह एकतरफा निर्णय लेते हैं जिसमें हंस पत्रिका समूह भी है। निम्नलिखित मुद्दे स्पष्ट कर रहे हैं कि हंस पत्रिका समूह में अव्यवस्था की भरमार है :=
1 स्तरहीन रचना का प्रकाशन :- हंस पत्रिका समूह में स्तरहीन रचनाएँ खूब प्रकाशित कि जाती हैं। ऐसी ही एक अति बिखरी प्रकाशित रचना पर मैंने जब आलोचनात्मक टिप्पणी की तो खन्ना नाम की एक महिला ने मेरी टिप्पणी पर कहा की यहाँ नए रचनाकार आते हैं जिन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।
2 रचनाएँ लंबित रहती हैं :- हंस पत्रिका समूह में रचनातें लंबी अवधि तक लंबित रहती है जिससे रचनाकार हतोत्साहित होता है। उक्त मद संख्या 1 में महिला खन्ना की बात यहाँ विरोधी हो जाती है। महिला रचनाकार दारुण शब्दों में मेरे पोस्ट पर टिप्पणी करते हुये बोलीं कि रचनाएँ प्रकाशित क्यों नहीं होती हैं? भला मेरे पास क्या उत्तर हो सकता है।
3 देवनागरी लिपि में बोली लेखन :- एक रचनाकार लगातार अपनी बोली में देवनागरी लेखन प्रस्तुत कर रहा था जिसे पढ़कर कुछ भी समझ में नहीं आता था। मैंने समूह के व्यवस्थापकों का ध्यानाकर्शण किया तब जाकर समूह ने इस बोली देवनागरी लेखन पर कार्रवाई की।
4 लगभग सौ लोग ही सक्रिय := हजारों की संख्या में समूह सदस्य दर्शानेवाले हंस पत्रिका समूह में रचना और टिप्पणी मिलाकर लगभग सौ सक्रिय सदस्य हैं जो यह दर्शाते हैं कि हिन्दी लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए इस समूह द्वारा कोई पहल नहीं कि जाती है। इस विषयक भी समूह में उल्लेख किया गया है।
5 पत्रिका को सदस्यता :- हंस पत्रिका समूह किसी भी नाम पर सदस्यता दे देता है। एक सदस्य की पहचान हरित पत्रिका है। यद्यपि हरित पत्रिका में हरित नाम वास्तविक नाम को छुपाने के लिए लिखा गया है। हरित पत्रिका नाम पर कई लोग मेरे लेख पर तर्क-वितर्क-कुतर्क करते हैं और समूह व्यवस्थापक मौन रहते हैं या बेखबर नजर आते हैं। यद्यपि मुझे हिन्दी पर चर्चा करना न उबाऊ लगता है न अपमानजनक पर यहाँ प्रवृत्ति और समूह प्रबंधन की ओर ध्यानाकर्षण करना है। अपना निजी अनुभव ही दर्शाना श्रेयस्कर है।
5 अँग्रेजी में नाम क्यों :- हंस पत्रिका समूह के पृष्ठ पर रोमन लिपि में Hans Patrika लिखा गया है। अबकी बार अपने विचारों को क्षुब्धभाव प्रदर्शन करते हुए अँग्रेजी में लिखकर कहा कि जब सभी रचनाएँ हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं तब रोमन लिपि में नाम लिखने की क्या आवश्यकता है? इस विषय पर समूह के प्रबंधन को ध्यान देना चाहिए।
त्योहारों के बाद आज जब मैं अपने समूहों कि यात्रा कर रहा था तो स्पष्ट हुआ कि समूह सूची में हंस पत्रिका समूह नहीं है जिसका यही अर्थ लगाया कि मेरी हिन्दी आधारित बातों से न जुड़ पाने के कारण हंस पत्रिका समूह को यही उचित लगा होगा कि सीधे ब्लॉक कर हिन्दी के यक्ष प्रश्नों से मुक्ति पायी जाए।
धीरेंद्र सिंह
25.11.2023
#hindi group#hans patrika
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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