मोहक आयोजन स्थल भी होता है क्योंकि देश के प्रत्येक राज्य में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक आदि विविधताएँ लिए कई स्थल
होते हैं जहां नगर राजभाषा कार्यान्यवन समिति कार्यरत होती है। अन्य कार्यालयों के मित्रों, परिचितों, नवागंतुकों आदि से मिलकर उनके कार्यालय के राजभाषा कार्यान्यवन में सुविधापूर्वक और स्वतंत्रतापूर्वक ताकने-झाँकने और जाँचने का अवसर मिलता है। इस प्रकार
मोहकता के विभिन्न रूप हैं जिनकी यहाँ पर पूर्णरूपेण चर्चा कर पाना संभव नहीं है। यहाँ यह उल्लेखनीय
है कि आवश्यकता में यदि मोहकता का मिश्रण हो जाता है तब वह सम्मेलन महज एक कामकाजी
आवश्यकता नहीं रह जाता बल्कि राजभाषा के सुरों से सजा एक एक ऐसा अनुपम गुलदस्ता हो
जाता है जिसकी सुरभि प्रेरणा, प्रोत्साहन और प्रीति से ओत –प्रोत कर देती है। क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में
प्रत्येक प्रतिभागी को बोलने और सुनने का मौका मिलता है जिससे सम्प्रेषण केवल
एकतरफा नहीं रहता बल्कि अभिव्यक्ति का एक ऐसा सशक्त मंच बन जाता है जहां न केवल भावनाओं, विचारों को प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है बल्कि उनपर निर्णय लिए जाने का
प्रस्ताव भी पारित होता है। यह वस्तुतः एक रोमांचकारी अनुभव है।
यह सम्मलेन एक दिवसीय होता है किन्तु इसके
आयोजन, संयोजन में कई दिनों का अथक परिश्रम जुड़ा होता है। जिस नगर या महानगर में इसका आयोजन होता है उससे संबन्धित क्षेत्रीय कार्यान्यवन कार्यालय के
उप-निदेशक के कंधों पर काफी ज़िम्मेदारी होती है। इन जिम्मेदारियों में से कुछ
प्रमुख ज़िम्मेदारी निम्नलिखित हैं :
(1)
कार्यस्थल का चयन : सम्मेलन के लिए उचित कार्यस्थल का
चयन काफी महत्वपूर्ण है। न्यूनतम 250 से 300 प्रतिभागियों के बैठने की
व्यवस्था आवश्यक है। चयनित सभागार में यथोचित ध्वनि व्यवस्था का होना आवश्यक है।
मंच कम से कम मध्यम आकार का होना चाहिए। पार्किंग की व्यवस्था होनी
चाहिए। चयनित कार्यस्थल परिसर में चाय, भोजन के लिए उपयुक्त स्थान होना चाहिए। पंजीकरण तथा पत्रिका आदि प्रदर्शन के लिए
परिसर में उचित जगह होनी चाहिए। सुविधापूर्वक जहां सब पहुँच सके ऐसा स्थल होना
चाहिए।
(2)
सचिव से तिथि की प्राप्ति : चूंकि इस सम्मेलन के एक प्रमुख आकर्षण राजभाषा विभाग के सचिव होते हैं इसलिए
सर्वप्रथम सम्मेलन आयोजन की तिथि का अनुमोदन सचिव से प्राप्त करना होता है। यदि
किसी सम्मेलन के आयोजन तिथि से कुछ दिन पहले यह भनक तक लग जाती है कि
सम्मेलन में सचिव की उपस्थिती संदेहपूर्ण है तो तत्काल 25% उपस्थिती में गिरावट आ जाती है विशेषकर वरिष्ठ प्रबंधन के अधिकारियों में। उप-निदेशक
(कार्यान्यवन) पर यह दबाव रहता है कि सम्मेलन की तिथि निर्धारण से पहले तिथि का अनुमोदन सचिव
से अवश्य करवाएँ और तिथि की घोषणा से पूर्व सचिव से तिथि अनुमोदन की पुष्टि अवश्य प्राप्त कर लें।
(3)
सूचना प्रेषण : प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आनेवाले सभी
कार्यालयों को यदि सम्मेलन में आमंत्रित किया जाये तो संभवतः आयोजन स्थल छोटा पड़ जाये। प्रायः ऐसा होता है कि आमंत्रण में उन कार्यालयों को प्राथमिकता दी जाती है जो राजभाषा कार्यान्यवन में सक्रिय हैं। आमंत्रण के
दूसरे क्रम में ऐसे कार्यालय आते हैं जिनके अधीन कई छोटे कार्यालय (जैसे बैंकों की शाखाएँ) होते हैं। तीसरे क्रम में छोटे कार्यालय आते हैं। अक्सर यह तीसरे
कार्यालय छूट जाते हैं क्योंकि इनमें ना तो राजभाषा विभाग होता है ना ही राजभाषा
अधिकारी पदस्थ होता है। ऐसा आवश्यक नहीं कि निमंत्रित सभी कार्यालय सम्मेलन में
सहभागी हों। सम्मेलन सभागार भर जाएगा कि खाली रहेगा यह अंदेशा आयोजन तिथि तक रहता
है।
(4)
भोजन बनानेवाले का चयन : सम्मेलन में मंच, विशिष्ट अतिथियों, सहभागियों के बाद यदि कुछ महत्वपूर्ण होता है तो वह है चाय-पान और भोजन। इसके चयन में
आयोजन कार्यस्थल के नाराकास की सक्रिय सहभागिता होती है। निर्धारित बजट में
संतोषप्रद भोजन प्रदान करना भी एक चुनौतीपूर्ण कारी है, जिसे आखिर में सफलतापूर्वक अंजाम दे ही दिया जाता है।
(5)
सक्रिय कार्यकर्ताओं का चयन : आयोजन में विभिन्न कार्यों के लिए मानव श्रम की भी आवश्यकता होती है। कुशल और
तत्काल उचित निर्णय ले सकनेवाले अधिकारियों का चयन कठिन कार्य है। निम्नलिखित
कार्यों के लिए कुशल कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है :
(1) पंजीकरण और फ़ाइल आदि प्रदान करने के लिए। (अक्सर यह कार्य राजभाषा विभाग के स्टाफ संभालते
हैं)
(2) सम्मेलन सभागार में बैठने की व्यवस्था नियंत्रित करने के लिए।
(3) उद्घोषक/उद्घोषिका का चयन।
(4) मंच पर पुरस्कार वितरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करना। (प्रायः यह कार्य राजभाषा
विभाग के अधिकारी संभालते हैं)
(5) वाहन व्यवस्था का नियंत्रण।
(6) आयोजन नगर में विभिन्न स्थलों पर बैनर लगाने के लिए उपयुक्त स्थल चयन।
(7) अतिथियों को विमानपत्तन/रेल्वे स्टेशन से ले आना-ले जाना।
(8) विशिष्ट व्यक्तियों की देखभाल।
(6)
सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु : सम्मेलन में स्थल विशेष की सांस्कृतिक विरासत की झलक के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी
आयोजित किया जाता है। एक राजी में अनेकों सांस्कृतिक विधाएँ होती हैं उनमें से प्रमुखतम विधाओं का चयन तथा उन्हें बखूबी प्रदर्शित करनेवाले
कलाकारों के चयन के लिए कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है।
(7)
प्रेस नोट और पत्रकारों के लिए कार्यकर्ता : सम्मेलन से पहले
और सम्मेलन के दिन तक स्थानीय प्रेस में सम्मेलन विषयक समाचार प्रकाशित करना और
सम्मेलन की रिपोर्ट पत्रकारों को प्रदान करने के लिए कार्यकर्ता की जरूरत होती है।
यद्यपि सम्मेलन रिपोर्ट में राजभाषा विभाग के अधिकारियों का सहयोग होता है किन्तु
रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक अनुभवी कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है।
उक्त प्रकार से और कई मदें हैं जिनमें सक्रिय कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है।
अधिकांश कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजन स्थल से ही मिल जाते हैं, यदा-कदा क्षेत्रीय कार्यान्यवन कार्यालय आयोजन स्थल
से बाहर के अपने सदस्य कार्यालय से कोई अनुभवी कार्यकर्ता की सहायता प्राप्त करता
है। यद्यपि क्षेत्रीय
राजभाषा सम्मेलन में सम्पूर्ण नियंत्रण गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नयी दिल्ली का होता है किन्तु यह
नियंत्रण निगरानी और आवश्यक दिशानिर्देश का होता है। सम्मेलन गरिमापूर्ण तरीके से
सम्पन्न हो जाये राजभ्शा विभाग का यह मुख्य उद्देश्य होता है। निर्धारित ढांचे के अंतर्गत सम्मेलन को
कौन सा क्षेत्र कितनी भव्यता और कुशलता से सम्पन्न कर पाता है इसका बहुत अधिक
दारोमदार उस क्षेत्र के उप-निदेशक (कार्यान्यवन) के कंधों पर होता है।
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