शनिवार, 21 अगस्त 2010

राजभाषा,यूनिकोड तथा इनस्क्रिप्ट - शक्ति भी, शौर्य भी

वर्तमान में राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. पिछले दो दशक के बाद अब राजभाषा अपनी उड़ान के लिए तैयार है. यहाँ पर एक प्रश्न उभरता है कि जब राजभाषा उड़ान के लिए तैयार है तब उड़ क्यों नहीं रही है और यह कैसी बात कि जब देखिये तब कहा जाता है कि राजभाषा इसके लिए तैयार है राजभाषा उसके लिए तैयार है, आखिर कब तक यह तैयारियां चलती रहेंगी ? यह प्रश्न राजभाषा से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के मन में उभरता है पर जवाब आधा-अधूरा ही मिलता है और उसी से मन मारकर संतोष कर लेने पड़ता है.  राजभाषा की विभिन्न समस्याओं का हल किसी कि ओर उंगली उठा कर कभी नहीं मिल सकता इसके लिए चाहिए कार्यवाई जिसकी काफी कमी है.यह कमियां प्रत्येक कार्यालय कि अपनी-अपनी परिस्थिति विशेष से निर्मित होती है जिसका समाधान प्रत्येक कार्यालय ढूंढ सकता है विशेषकर कार्यालय का शीर्ष प्रबन्धन. वर्तमान में राजभाषा कि सबसे बड़ी समस्या क्या है यदि इसका आकलन किया जाए तो ज्ञात होगा कि जिस रफ़्तार के साथ कार्यालय के सभी विभागों द्वारा राजभाषा में कार्य होना चाहिए वोह नहीं हो रहा है जिसका प्रमुख कारण है प्रौद्योगिकी कि कठिनाईयां. क्या हैं यह कठिनाईयां तो इसका सरल उत्तर यह है कि किसी भी कार्यालय के कर्मचारी को देवनागरी लिपि में टाइप करने में असुविधा होती है . यह असुविधा की  बोर्ड से लेकर हिंदी फॉण्ट तक की है जबकि इसका समाधान काफी पहले किया जा चुका है फिर भी कर्मचारी इससे पूरी तरह से परिचित  नहीं हैं परिणामस्वरूप राजभाषा अपनी गति नहीं पकड़ पा रही है. दोषी कौन है ? यह प्रश्न राजभाषा कार्यान्वयन में ना किया जाये तो बेहतर है क्योंकि यहाँ दोष परिचय का है, अभ्यास का है, प्रोत्साहन का है यदि यह सब दोष निकल जायेगा तो समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी.


एक समय था जब टाइप करने के लिए टंकक के पास पेपर जाता था परन्तु अब लगभग सभी टेबल पर कंप्यूटर कि सुविधा है और यह अपेक्षा कि जाती है कि हर टेबल खुद अपना टाइप कर ले और टाइप कि निर्भरता कम करे. इसकी वजह कंप्यूटर मात्र ही नहीं है बल्कि ई -मेल मेल के चलन ने कर्मचारियों को की-बोर्ड कि ओर जाने को मजबूर कर दिया है. यह भी एक प्रमुख कारण है टाइप के लिए कार्यालय के प्रत्येक टेबल को आत्मनिर्भर होने के लिए जिससे कर्मचारी सम्प्रेषण की आधुनिक सुविधाओं का लाभ उठा कर अपना और कार्यालय के कामकाज को एक नयी ऊँचाई दे. कल तक टाइप केवल टंकक का कार्य मन जाता था परन्तु आज टंकण  प्रत्येक टेबल का अभिन्न हिस्सा बन चूका है चाहे वोह अल्प मात्रा में ही क्यों ना हो पर सभी टेबल पर विद्यमान है. इतनी अधिक आवश्यकता होने के बावजूद भी राजभाषा की गति में तेज़ी क्यों नहीं आ रही है यहाँ यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है. इसके पीछे की सच्चाई है हिंदी के अनेकों फॉण्ट तथा उनका दूसरे कंप्यूटर पर सही ढंग से खुलना. भारत में जीतनी भाषाएँ हैं उससे भी ज्यादा हिंदी के फॉण्ट हैं तथा सब अपने-अपने प्लेटफ़ॉर्म पर ही खुलते हैं मानों सबकी अपनी-अपनी सल्तनत हो अपना-अपना सूबा हो . ऐसी हालत में यदि एक कंप्यूटर से लिखा गया मेल यदि दूसरे कंप्यूटर पर नहीं पढ़ा जा सकता हो और शब्द की जगह पर डब्बा दीखता हो तो कौन कर्मचारी राजभाषा में कार्य करने की जहमत उठाएगा पल भर में वोह अपना कार्य अंग्रेजी में कर देगा आखिर अंग्रेजी में कार्य करने का वर्षों से अभ्यस्त जो है. हिंदी में फॉण्ट समस्या का अंत यूनिकोड आने के बाद ही पूरी तरह से समाप्त हो गयी अब बेधड़क यूनिकोड में काम होता है और किसी भी कंप्यूटर पर इसे पढ़ा जा सकता है . फॉण्ट की इस सफलता के बावजूद भी इसमें एक पेंच है. वह पेंच यह है की जब भी किसी कंप्यूटर में विंडोस लोड किया जाता है तो अक्सर लैंग्वेज भाग को लोड नहीं किया जाता जिससे कंप्यूटर में यूनिकोड की सुविधा का उपयोग करने में कठिनाई होती है इसके लिए प्रत्येक कंप्यूटर पर यह सुनिश्चित  किया जाना चाहिए की यूनिकोड सक्रिय है या नहीं. एक बार कंप्यूटर में यूनिकोड सक्रिय हो जाने पर यह सुविधा बनी जब रहती है. यूनिकोड को विश्व स्तर पर मान्यता है.


फॉण्ट के संग एक और समस्या है जिससे कर्मचारियों में काल्पनिक उलझन उत्पन्न होती है कि यदि यूनिकोड  को अपनाएं तो क्या की-बोर्ड भी बदलना होगा. यह सोच महज काल्पनिक नहीं कही जा सकती क्योंकि जिस तरह यूनिकोड को विश्वस्तरीय मान्यता मिली है वैसे ही इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड को भी विश्वस्तरीय मान्यता मिली है अतएव जब यूनिकोड कि बात होती है तब इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड कि भी चर्चा होती है उअर दूसरे की-बोर्ड के अभ्यस्त कर्मचारी की-बोर्ड परिवर्तन मात्र से परेशान हो जाते हैं जिससे वह यूनिकोड में कार्य करने से बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि यूनिकोड अपनायेंगे तो इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड भी अपनाना होगा. यूनिकोड और इनस्क्रिप्ट को एक एक दूसरे का अभिन्न अंग मान लेना सही सूचना के अभाव का परिणाम है सत्य तो यह है कि यूनिकोड का उपयोग किसी भी की-बोर्ड से किया जा सकता है परन्तु यदि इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड का उपयोग किया जाए तो टाइप के अलावा अन्य कार्यों जैसे ब्लॉग लिखना आदि में इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड ही कारगर है. भविष्य के राजभाषा कार्यान्वयन के लिए इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड को ही  अपनाना चाहिए. कार्यालय में इन बातों को यदि और अधिक विस्तार से तथा कुछ उदहारण देकर समझाया जाये तो बेहद प्रभावशाली परिणाम होता है. प्रत्येक कार्यालय इस प्रकार कि सूचना, प्रशिक्षण के लिए पूरी तरह से सक्षम है और इस सम्बंधित अद्यतन सूचनाओं से परिपूर्ण है आवश्यकता है तो सिर्फ इसके प्रचार-प्रसार-सहयोग की. कई लोगों ने कहा है की इनस्क्रिप्ट की-बोर्ड सीखना आसान है और उन्होंने स्वयं को पुराने की-बोर्ड से हटा कर इनस्क्रिप्ट से जोड़ लिया . यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ बल्कि उन्हें इसकी उपयोगिता और अनिवार्यता को बतलाना पड़ा सोदाहरण. यह कार्य प्रत्येक राजभाषा विभाग बखूबी कर सकता है.


भविष्य के राजभाषा कर्न्यावन में यूनिकोड और इनस्क्रिप्ट की ही आवश्यकता रह जाएगी. राजभाषा कार्यान्वयन से जुड़े लोगों की यह चतुराई होगी की वह भविष्य की भाषाई चुनौतियों से सामना करने के लिए यूनिकोड और इनस्क्रिप्ट की पूरी तरह से अपने-अपने कार्यालय  में लागू करने की कोशिश करें. यूनिकोड और इनस्क्रिप्ट का सफलतापूर्वक कार्यान्वन राजभाषा कार्यान्वन की शक्ति भी है और शौर्य भी.
 


2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत से सरकारी विभागों या संस्थानों के हिन्दी की वेबसाइटें या तो पुराने फाण्टों में हैं या केवल अंग्रेजी में। इसे जल्द से जल्द यूनिकोडित करने की जरूरत है।

    राजभाषा विभाग की पत्रिका पीडीएफ में निकली है। उसका फॉण्ट भी यूनिकोड नहीं है। इसे यूनिकोड में रखने में क्या समस्या आ रही है?

    अब तो कोशिश होनी चाहिये कि सभी हिन्दी प्रभाग जो पत्रिकाएँ निकालते हैं वे आनलाइन हो एवं यूनिकोड में हों। इससे बहुत से लाभ होंगे जिन्हें गिनाया जा सकता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. यह बात बिल्कुल सही है कि जिस प्रकार मानक फांट के रूप में यूनीकोड उभरा है उसी प्रकार सभी की-बोर्डों में मानक की-बोर्ड इंस्क्रिप्ट की-बोर्ड ही है। हमें यह मान लेना चाहिए कि बिना इसके अब कोई गुजारा नहीं है।

    इस कार्य में राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता है जो टंकक प्रशिक्षकों को टंकण के दौरान अपने पुराने ढर्रे से अलग हटकर केवल यूनीकोड फांट एवं इंस्क्रिप्ट की-बोर्ड का ही प्रशिक्षण दे।
    समय की यही पुकार हो, कि सारी दुनिया यूनीकोड और इंस्क्रिप्ट की-बोर्ड के साथ हो।
    सधन्यवाद,

    जवाब देंहटाएं