शनिवार, 5 जुलाई 2025

हिंदी की वर्तमान स्थिति

हिंदी की वर्तमान स्थिति


भाषा सामाजिक संरचना का वह अनिवार्य धागा है जो संबंधित समाज की सभ्यता और संस्कृति को जोड़ता रहता है, विकास और विन्यास करते रहता है। यदि इसी परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा की बात की जाए तो यह विषय अप्रासंगिक नहीं होगा। तमिलनाडु हिंदी का विरोध करते रहा है पर अब महाराष्ट्र में भी हिंदी का विरोध हो रहा है। कर्नाटक में इसकी हल्की सुगबुगाहट यदा-कदा दिखती रहती है। यदि स्पष्ट कहा जाए तो तमिलनाडु और महाराष्ट्र प्रखर रूप से हिंदी का विरोध कर रहे हैं। इसे मात्र राजनीतिक वक्तव्य कहकर खारिज  कर देना अदूरदर्शिता कही जाएगी। 


हिंदी के विरोध का कारण क्या है इसपर विचार करना आवश्यक है। यदि तमिलनाडु की बात की जाए तो यह संविधान से जुड़ा है क्योंकि संविधान ही कहता है कि संजह की राजभाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी। तमिलनाडु इसमें परिवर्तन चाहता है जिससे केंद्रीय कार्यालयों, उपक्रमों आदि में हिंदी में कामकाज करने की पहल, प्रशिक्षण समाप्त हो जाये और तमिलनाडु के लोगों को इन कार्यालयों आदि में अधिक से अधिक संख्या में सेवा का अवसर मिले।


महाराष्ट्र में गिर मराठी भाषा-भाषियों की संख्या और इनका राज्य के विकास में अभूतपूर्व योगदान है। कई दशक से महाराष्ट्र में राहट्स हुए इन गैर मराठी भाषा वासियों ने आर्थिक और सामाजिक रूप से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है परिणामस्वरूप मराठी भाषा भीड़ में दबी-दबी सी पड़ी है। इनकी फ़िल्म या रंगमंच अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। इतर राज्यों की सभ्यता और संस्कृति मराठी जत्न-जीवन स्वयं में घुटन सा अनुभव कर रहा है परिणामस्वरूप राजनैतिक विरोध मराठी जनमानस का समर्थन प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।


यह अवसर है कि हिंदी को और सशक्क्त किया जाए जिसमें हिन्दीतर राज्यों में प्रयुक्त अति लोकप्रिय शब्दावली का हिंदी भाषा में प्रचुर प्रयोग कर हिंदी में अंगीकार कर लिया जाए। यद्यपि मराठी तथा हिंदी में विशेष अंतर नहीं है तथा दोनों भाषा की लिपि देवनागरी है ऑयर इनकेके अधिकांश शब्द मिलते-जुलते हैं फिर भी विरोध जारी है मराठी भाषियों को लामबंद करने के लिए। हिंदी और मराठी भाषा एक-दूसरे के इतने करीब हैं कि यह काल्पनिक भय महाराष्ट्र के राजनैतिक पक्ष को सता रहा है कि कहीं मराठी भाषा प्रयोग में गिरावट न दर्ज कटे। इस भाषा के माध्यम से राजनीति दूसरे स्तर पर है।


यह सत्य है कि हिंदी भाषी अपने कार्यों में हिंदी के स्थान पर अंग्रेजी का प्रयोग करना एक गर्व की बात समझते हैं। भाषा का यह मनोभाव हिंदी प्रदेश के हिबड़ी भाषियों में हिंदी भाषा के प्रति एक हीनग्रंथि का निर्माण कर रहा है। बैंक या किसी कार्यालय के कागज पर हिंदी के बजाय अंग्रेजी में लिखना एक बौद्धिक श्रेष्ठता की निशानी बन चुकी है जिससे अभी भी हिंदी प्रदेश के अधिकांश हिंदीभाषी ग्रसित है। ऐसी स्थिति में तमिलनाडु को महाराष्ट्र के हिंदी विरोध का एक सहारा मिल गया है और तमिलनाडु ऊनी पूरी ऊर्जा के साथ हिंदी विरोध को मुखर कर रहा है जो संलग्नक में स्पष्ट है।


धीरेन्द्र सिंह

11.29

06.07.2025




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बुधवार, 2 जुलाई 2025

लाईक और कमेंट्स

सोशल मीडिया पर लाईक और कमेंट्स के द्वारा किसी भी पोस्ट को सराहा जाता है। अधिकांश सोशल मीडिया का उपयोग करनेवाले लाईक और कमेंट्स के अंतर को नहीं समझते हैं। यहां पसंद और प्रतिक्रिया शब्द का प्रयोग करुण तो 59% उपयोगकर्ता इस शब्द का अर्थ ही नहीं समझ पाएंगे जो कि हिंदी भाषा के दुर्गति का प्रतीक है। हिंदी में लिखनेवाले बोलचाल की शब्दावली का प्रयोग करते हैं जिससे उनके भाव जो कहना चाहते हैं वह बोलचाल के शब्दावली में ठीक से नहीं कर पाते हैं। इसी प्रकार जो लोग किसी रचना को न तो पढ़ते हैं और न समझते हैं ऐसे लोग विशेषकर लिखित पोस्ट को लाइक कर अपना सोशल मीडिया फ़र्ज़ निभाते हैं। लाईक वीडियो के लिए उचित है या मैसेज के लिए किन्तु किसी लिखित पोस्ट कविता, कहानी आदि के लिए लाईक का प्रयोग करना यह दर्शाता है कि लाईक करनेवाले ने रचना को नहीं पढ़ा।


कमेंट्स लिखने को पाठक विवश हो जाएगा यदि वह लिखित पोस्ट को पढ़े क्योंकि पढ़ने के बाद मन सहमत, असहमति, सुझाव आदि देने को तत्पर रहता है  प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि पोस्ट को महत्व दिया गया है और लेखन को प्रोत्साहन। यदि किसी भी समूह में किसी रचनाकार को कमेंट्स के बजाय मात्र लाईक मिलने लगे तो यह स्पष्ट संकेत है कि उसकी रचना को न तो पढ़ा जा रहा है और न महत्व दिया जा रहा है। यदि ऐसी स्थिति निर्मित होती है तो कमेंट्स से प्रभावित रचनाकार को वह समूह छोड़कर दूसरे समूह में जाना चाहिए जहां उसका लेखन सार्थक साबित हो।


सुबह चलते-फिरते गुड मॉर्निंग आदत के अनुसार भाव हीन बोलनेवालों की तरह लिखित पोस्ट पर लाईक है। यदि रचना का सम्मान है तो मात्र लाईक ही मिलता रहे तो यह एक चेतावनी देता संकेत है कि यहां ऐस रचना की पूछ नहीं इसलिए दो शब्द लिखना भी कोई समूह सदस्य उचित नहीं समझता है। लिखित पोस्ट पर लाईक बच्चों का झुनझुना है।


धीरेन्द्र सिंह

03.07.2025

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