बुधवार, 11 सितंबर 2024

सांखल बंधी हिंदी

एक दशक से हिंदी भाषा में हो रहे परिवर्तन को लोग देख और समझ नहीं रहे हैं ऐसा सोचना गलत है। सोच के संग संग समझ भी है पर यथोचित समाधान नहीं है। हिंदी भाषा के असंख्य शब्द घायल पड़े हैं और कुछ शब्द मरते जा रहे हैं इन सब नकारात्मक स्थितियों कर बाद भी यह कहना कि हिंदी पर हमें गर्व है पीड़ादायक प्रतीत होता है। यहां एक स्वाभाविक प्रश्न उभरता है कि ऐसी क्या स्थिति आ गयी कि हिंदी के प्रति इतनी नकारात्मक विचार प्रस्तुत किया जा रहा है। यद्यपि यह विषय गूढ़ और व्यापक है फिर भी कुछ बिंदुओं को दर्शाया जा रहा है:-


(क) हिंदी दिवस 14 सितंबर :- भारत के संविधान में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी को संघ की राजभाषा का पद दिया गया है। कितने केंद्रीय कार्यालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और उपक्रमों में लिखित कार्य हिंदी में होता है? यदि निष्पक्ष विश्लेषण किया जाए तो बेहद निराशाजनक परिणाम मिलेंगे। हिंदी दिवस पर ढोल, नगाड़े बजाना और विभिन्न आयोजनों द्वारा प्रगति और प्रयास का भ्रम फैलाने की एक अघोषित स्वीकार्य प्रथा सी चलन में है। भारत देश मरीन हिंदी राजभाषा के रूप में एक स्थिरता धारण किए हुए है।


(ख) साहित्यिक हिंदी का लोप होना ;- वर्तमान की हिंदी पत्र-पत्रिकाएं, हिंदी की प्रकाशित पुस्तकें (कहानी, कविता, उपन्यास) हिंदी के शब्दों का न तो नए बिम्ब, उपमा, प्रतीक के रूप में प्रयोग कर रहे हैं और न ही भावनाओं की सटीक अभिव्यक्ति के उचित शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। सीधी, सरल और सपाट हिंदी में अधिकांश लरखं हो रहा है और शायद ही किसी पाठक को अर्थ के लिए शब्दकोश देखने की आवश्यकता हो। सरल हिंदी में लिखने का एक अतार्किक और अप्रयोज्य परंपरा साहित्यिक हिंदी को लील रही है।


(ग) हिंदी भाषा के प्रति अरुचि ;- हिंदी भाषा के प्रति रुचि में कमी हो रही है। “शुद्ध हिंदी बोलता/बोलती है” अब एक सम्मानजनक वाक्य नहीं रह गया है। हिंदी खिचड़ी भाषा होते जा रही है जिसमें हिंदी की मूल संरचनागत प्रवृत्ति और प्रांजलता धूमिल होते जा रही है। अब तो अधिकांश लोग न ठीक से हिंदी बोल पाते हैं और न लिख पाते हैं।


3. उक्त बिंदुओं के आधार पर यह निष्कर्ष तक पहुंच जाना कि हिंदी के प्रति यह पूर्वाग्रह पीड़ित निजी व्यथा है, हिंदी भाषा के प्रति घातक सोच कही जाएगी। केंद्र सरकार से लेकर विद्यालय तक 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मना रहा है। यह हिंदी भाषा के उत्सव का दिन है। अंतर्मन हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए यह कल्पना कर रहा है कि आगामी हिंदी दिवस तक हिंदी राजभाषा, साहित्यिक भाषा और पत्रकारिता भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्शाएगी।


धीरेन्द्र सिंह

11,09.2024

10.53




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