शनिवार, 16 अप्रैल 2011

आस्ट्रेलिया की हिंदी में वेबसाइट- राष्ट्रभाषा का पक्ष, प्रयोजन और पहचान

आस्ट्रेलिया ने भारतीय विद्यार्थियों के अभिभावकों की विशेष सुविधा के लिए हिंदी में वेबसाइट का निर्माण कर हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय विकास को एक नयी ऊँचाई प्रदान किया है. यह केवल एक समाचार मात्र नहीं है बल्कि यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि भी है. ‘स्टडी मेलबर्न विक्टोरिया आस्ट्रेलिया’ नाम से यह वेबसाइट सरल हिंदी में वह सभी आवश्यक जानकारियाँ प्रदान कर रही हैं जिसकी आवश्यकता वहां अध्ययन करने जानेवाले प्रत्येक विद्यार्थी को हो सकती है. वेबसाइट में दिए गए लिंक्स अंग्रेजी में हैं किन्तु हाइपर लिंक को हिंदी में अनूदित कर लिखा गया है. यह वेबसाइट अपने आप में एक विशिष्ट वेबसाइट है जिसमें अंग्रेजी का उपयोग ना के बराबर किया गया है.

यहं एक सहज प्रश्न उठना आवश्यक है कि आखिर आस्ट्रेलिया को हिंदी में वेबसाइट बनाने कि क्या जरुरत आ पड़ी. अंग्रेजी में वेबसाइट बनाने से भी तो काम चल सकता था. वर्ष 2010 में 46,000 विद्यार्थियों ने अध्ययन के लिए अपना नामांकन कराया था. इस पोर्टल पर कुछ प्रतिक्रियाएं द टाइम्स ऑफ इंडिया से प्राप्त हुआ जो हिंदी के प्रति मानसिकता का परिचायक है : -

1. भारत में कितने लोग हिंदी पढ़ते और लिखते हैं, यह निरर्थक है ...
2. आस्ट्रेलिया के प्रथम श्रेणी के विश्वविद्यालय तीसरी दुनिया के देश के साथ यह गठबंधन क्यों चाहते हैं ? भारत को अब जाग जाना चाहिए ...यह कड़वा सत्य है कि आप सस्ते श्रमिकों का स्त्रोत हो.
3 . नयी सरकार द्वारा ब्रांड प्रबंधन की एक अच्छी पहल.  
4. अधिकाँश भारतीय अंग्रेजी नहीं बोलते हैं जबकि 1.2 अरब जनसंख्या में से 350 मिलियन अंग्रेजी बोलनेवाले हैं.
5. इसकी कोई आवश्यकता नहीं.
6. यह एक जनसंपर्क प्रयास है. आस्ट्रेलिया में अध्ययन की योजना बनानेवाले विद्यार्थी को एक हिंदी वेबसाइट की क्यों आवश्यकता होगी.
7. विशेषतया हिंदी- 99% भारतीय बॉलीवुड फिल्में देखते हैं लेकिन जब राष्ट्रभाषा की बात आती है तब वह अपने राज्यभाषा को महत्व देते हैं. क्यों भारत की अपनी कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है?
8. विदेश में अध्ययनरत विद्यार्थी अपने अभिभावक को कुछ भी कहेंगे. अभिभावक हिंदी वेबसाइट पढकर स्वंय लागत आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. सरकार का यह सराहनीय कदम है.
9. आस्ट्रेलिया सरकार से यह पूछना चाहिए कि वह हिंदी और भारतीय को ही क्यों लक्ष्य बना रही है  मंदारिन और चीनी को क्यों नहीं?
उक्त सूचना और उसपर प्राप्त प्रतिक्रियाएं अन्य बातों के साथ-साथ यह अवश्य दर्शाती हैं कि भाषा के प्रति एक नयी सोच की आवश्यकता है. इस विषय पर अब कुछ लिखने के लिए शेष ही नहीं रह गया है क्योंकि उक्त प्रतिक्रियाएं राष्ट्रभाषा का पक्ष, प्रयोजन और पहचान को बखूबी बयान कर रही हैं. विश्वमंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भाषा की भी एक अहम भूमिका होती है. आज आस्ट्रेलिया ने हिंदी पोर्टल का आरम्भ किया है कल कोई दूसरा देश होगा, फिर तीसरा...और इस तरह हिंदी पोर्टल में वृद्धि होगी तब भी यदि ऐसी ही प्रतिक्रियाएं मिलती रहीं तो वह एक कठिन परिस्थिति होगी.     


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4 टिप्‍पणियां:

  1. एक और बेहतरीन सोच और उसको सामने लाने का अंदाज प्रभावशाली और सन्देशपरक है.
    बहुत अच्छा लिखा आपने …
    शुभकामनाएँ!!

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  2. Hindi ko badhawa dene kee disha men ek aur achcha kadam mai to yahee sochtee hoon.

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