राजभाषा से जुड़े प्रत्येक के मन में अप्रैल के प्रथम माह में राजभाषा विभाग के वार्षिक कार्यक्रम को जानने की उत्सुकता होती है इसलिए राजभाषा विभाग के पोर्टल पर जाना अनिवार्य हो जाता है. इसी क्रम में मैं जब राजभाषा विभाग के पोर्टल पर गया तो उसका नया रूप और अंदाज़ देखकर तो मैं कुछ देर तक मोहित, ठगा सा अपनी आँखें गडाये रहा और जी भर कर पोर्टल के नए रूप की प्रसंशा की. सब कुछ बेहद स्पष्ट और साफ़-सुथरा था इसलिए अत्यधिक सरल लग रहा था जिसे बाद में मैंने वाकई बेहद आसान पाया. इस नए पोर्टल की टीम को प्रत्येक व्यक्ति मेरी तरह ही धन्यवाद देगा और भूरि-भूरि प्रसंशा करेगा.
वार्षिक कार्यक्रम 2011-2012 पर क्लिक करते ही प्रथम वाक्य ने मेरा ध्यानाकर्षण किया – “संघ का राजकीय कार्य हिंदी में करने के लिए वार्षिक कार्यक्रम”. इस वाक्य ने पहली बार अपनी उपस्थिति को प्रखर रूप में दर्शाया है अन्यथा कई पाठक इस वाक्य से जुड ही नहीं पाते थे. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रांतीय बोलियों पर विचार आरम्भ में ही राजभाषा निति के उद्देश्य को बखूबी दर्शाते हुए मिला जो प्रेरणापूर्ण और दिशानिर्देशक है. विभाग का दूरभाष और ई-मेल इतनी सहजता से उपलब्ध है कि अब विभाग से संपर्क करनेवालों कि संख्या में काफी वृद्धि होगी.
सचिव वीणा उपाध्याय जी के प्रस्तावना को चाहे कितनी ही गंभीरता से क्यों न पढ़ा जाए पढ़नेवाला बगैर दूसरी बार पढ़े प्रस्तावना को पूरी तरह समझ ही नहीं सकता है. बड़े फॉण्ट में प्रस्तावना प्रथम दृष्टि से ही अपने बड़े इरादे का परिचय दे देता है. प्रस्तावना के 1.1 का यह वाक्य राजभाषा कार्यान्वयन की दृष्टि से राजभाषा विभाग के नयी नज़र की ओर स्पष्ट इशारा करता है – “...केन्द्र सरकार के कार्यालयों / उपक्रमों /बैंकों में से प्रथम 20 सर्वोत्तम कार्य – निष्पादकों के वार्षिक औसत और उनके लिए निर्धारित किये गए महत्वाकंक्षी लक्ष्यों के बीच भारी अंतर है.” एक नयी चुनौती तथा राजभाषा कार्यान्वयन के लिए पारदर्शिता का सन्देश देता प्रस्तावना कठिन श्रम और पारदर्शी कार्यनिष्पादन रिपोर्टिंग का दिशानिर्देश दे रहा है जिससे राजभाषा जगत में एक नयी कार्यान्वयन चेतना का संचार हो रहा है. प्रस्तावना के मद संख्या 2 में सचिव महोदया ने “तर्कसंगतता” और “धरातलीय यथार्थ” के दो प्रमुख आधार पर वार्षिक कार्यक्रम 2011-2012 का जो दिशानिर्देश दिया है वह राजभाषा जगत की वर्षों की मांग थी बस आवश्यकता थी एक सक्षम स्तर से उसके पुकार की जिसे पूरा किया गया है. अनेकों नए दिशानिर्देशों में यह कुछ दिशानिर्देश अत्याधुनिक तेवर के लगे इसलिए उल्लेख करना पड़ा.
राजभाषा निति से सम्बंधित महत्वपूर्ण निर्देश के अंतर्गत राजभाषा अधिनियम. 1963, राजभाषा नियम, 1976 राजभाषा संकल्प और राष्ट्रपति जी के आदेश को एक नज़र में पढ़ा जा सकता है जिससे वार्षिक कार्यक्रम को तथा राजभाषा कार्यान्वयन को सहजता से समझा जा सकता है. यह राजभाषा से इतर लोगों के लिए एक विशेष सुविधा है. यूनिकोड पर विस्तृत जानकारी से काफी लाभ मिलेगा और राजभाषा कार्यान्यवन में काफी सुविधा होगी अन्यथा कंप्यूटर में हिंदी नहीं दिखती है की शिकायत से राजभाषा में कंप्यूटर पर कार्य करने में लोगों को असुविधा होती थी और यूनिकोड की पूरी जानकारी भी नहीं रहती थी. प्रस्तावना अत्यधिक जानकारीपूर्ण और प्रभावशाली है.
वार्षिक कार्यक्रम में एक क्रन्तिकारी कदम है पत्राचार के लक्ष्यों में एक व्यापकता प्रदान करने की. इससे हिंदी की तिमाही रिपोर्ट में एक व्यापक परिवर्तन आएगा तथा राजभाषा के विभिन्न पुरस्कारों के लिए आंकड़ों की तेज रफ़्तार नियंत्रित होगी. क क्षेत्र में 75-100 प्रतिशत ख क्षेत्र में 75-90 प्रतिशत का लक्ष्य गंगा के विशाल पाटों की तरह विस्तृत है जिसमें राजभाषा कार्यान्वयन की नैया सही गति-दिशा और नियंत्रण में चल सकेगी. आंकड़ों की तूफानी गति को नियंत्रित करने का यह नायाब तरीका राजभाषा कार्यान्वयन के लिए एक विशेष उपहार जैसा है.
लगभग 14 वर्ष पूर्व राजभाषा विभाग के तत्कालीन उप-सचिव श्री देवस्वरूप जी की अध्यक्षता में तथा गाज़ियाबाद क्षेत्रीय कार्यन्वयन कार्यालय के तत्कालीन उप-निदेशक श्री वेदप्रकाश गौड़ जी के सहयोग से “राजभाषा कार्यान्वयन-एक नयी नज़र-एक नयी डगर” पर मैंने विभिन्न कार्यालयों की सहभागिता से संगोष्ठी आयोजित किया था जिसका उद्देश्य इस वार्षिक कार्यक्रम से पूरा होता नज़र आ रहा है. इस महान कार्य से जुड़े सभी विद्वानों के श्रम, लगन और समर्पण का मैं अभिवादन करता हूँ.
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विदेशों में रह रहे छात्रों को हिंदी भाषा सिखाने के लिए किन कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे, बदलते हिंदी के मानकों को सुलझाने का प्रयास करना, हिंदी किताबों में ही इन मानकों को लेकर विरोधाभास को समाप्त करना। वहाँ पर, छात्रों में व्याप्त भ्रम को दूर करने के लिए हिंदी की वर्तनी के मानकीकृत रूप को प्रचलित करने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। अतः वेबसाइट सबसे प्रभावी माध्यम है।
जवाब देंहटाएंमैं आपकी बात से पूर्णतः सहतम हूँ कि हरेक को अप्रैल माह में वार्षिक कार्यक्रम की जिज्ञासा रहती है कि क्या होगा क्या कुछ नयापन और कोई ठोस कदम उठाया जाएगा.... बगैरा-बगैरा। लेकिन वर्षों के बाद कुछ नयापन देखने को मिला इतना सुंदर होमपेज बनाया है और उसमें विद्वानों के विचार देखकर और वार्षिक कार्यमक्रम पढ़कर बहुत अच्छा लगा। यह वास्तव में एक प्रभावी कदम है।
जवाब देंहटाएं"Sahsa Pani Ki Ek Boond Ke Liye" Waise Hi Aaj Hamari Rashtrabhasa Bhi Lupt Hoti Ja Rahi Hai.
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